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*भगवान के तीन ही मुख है प्रसाद ग्रहण करने के !*
*1-- पहला गाय -गौवंश को दिया तृण सीधे भगवान को प्राप्त होता है और स्वाद की चर्चा तक गौमाता के यहाँ नहीं होती बस आशीर्वाद की प्राप्ति अवश्य होती है यह सनातन सत्य है।*
*२---- भगवान का दूसरा मुख है संत- ब्राह्मण का मुख जहां स्वादिष्ट भोजन से आशीर्वाद प्राप्त होता है और आपका दिया भोग नारायण तक पहुचता है। अंत में दक्षिणा अति आवश्यक है !!*
*३ - --- भगवान का तीसरा मुख है अग्नि जहाँ हवन द्वारा जड़ी- बूटी,जौ -तिल,ड्राय-फ़ूडऔर गौ घृत से भगवान को भोग लगाया जाता है। जिसे साधारण मनुष्य अपनी गरीबी के कारण बहुत कम कर पाते है। जो कर पाते है उनका कल्याण और लोक कल्याण निश्चित है यह भी सनातन सत्य है।*
*मनुष्य को इन तीनो में से जो सरल उपाय हो या जो उनके सामर्थ्य में हो उसको अपना कर भगवान को नित्य भोग जरूर लगाना चाहिए जिससे परमात्मा द्वारा प्राप्त मानव शरीर, जल,अग्नि, वायु, पृथवी और आकाश के उपभोग का कर्ज कुछ कम हो। वैसे तो माता- पिता और भगवान का कर्ज कोई चूका नहीं पाया पर स्वार्थी नहीं परमार्थी बनने की कोशिश मानव को जरूर करनी चाहिए यही सनातन शास्त्रों का मत है ।*
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*
सनातनी विचार